Sunday, September 24, 2023
Homeधर्मKashi Vishwanath: त्रिशूल पर टिकी काशी में साक्षात विराजते हैं भोलेनाथ

Kashi Vishwanath: त्रिशूल पर टिकी काशी में साक्षात विराजते हैं भोलेनाथ

Kashi Vishwanath: उत्तर प्रदेश का शहर वाराणसी, इसे भले ही हम बनारस या वाराणसी नाम दे दें, लेकिन सब की जुबान पर एक ही नाम आता है वो है शिव की नगरी काशी, चार जुलाई से शुरू होने वाले सावन के महीने में बनारस में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। हर साल भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। बनारस शहर काफी खास है, क्योंकि यहां के कण-कण में शिव का वास है।

वाराणसी से भोलेनाथ का कनेक्शन बहुत पुराना है। यही वजह है कि बनारस की गलियों में भोलेनाथ के मंदिर हैं। गलियों को छोड़ दीजिए काशी विश्वनाथ.. जिसकी सुंदरता..भव्यता और मान्यता न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी विख्यात है। भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित मंदिरों में से काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। भगवान शिव का ये मंदिर वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित हैं। सावन के महीने में दूर-दराज से भक्तों का तांता यहां लगता है। कहते हैं कि सावन में बाबा काशी विश्वनाथ का नाम जपने से ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

काशी वो स्थान है जहां जीवन के अंत का उत्सव मनाया जाता है। यहां दिन में भोले के दर्शन होते हैं और रात में मणिकर्णिका घाट पर इस जीवन का अंत होता है। गंगा में डुबकी लगा कर लोग पुण्य पाते हैं और इसी गंगा में विसर्जित होकर लोग अपने जीवन का दूसरा सार देखते है। काशी से जुड़ी भगवान शिव की कई मान्यताएं हैं आइये जानते हैं क्या है भगवान शिव और काशी का कनेक्शन..

भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी है काशी

पुराणों के अनुसार काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है। भगवान शिव के त्रिशूल पर टिके होने की वजह से ही यह जमीन पर नहीं है, बल्कि इसके ऊपर है। यहां के कण-कण में शिव हैं। जीवन का प्रारंभ भी यहीं और इसका अंत भी यहीं है। कहा जाता है कि जो काशी नगरी में प्राण त्यागता है, वह मोक्ष पाता है इसलिए यहां मरना मंगल है, चिताभस्म यहां आभूषण समान है। काशी में साधु-संतों का डेरा है। अघोरियों का निवास यहां बड़ी संख्या में है।

देवी पार्वती के साथ काशी आए थे भोलेनाथ

हिंदू धर्म में इसे देवभूमि माना गया है। ये दो नदियां वरुणा और असि के मध्य होने से इसका नाम वाराणसी पड़ा। इसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ अपनी धर्मपत्नी माता पार्वती के साथ काशी आए थे। एक कथा के अनुसार जब भगवान शंकर पार्वती जी से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत रहने लगे तब पार्वती जी इस बात से नाराज रहने लगीं। उन्होंने अपने मन की इच्छा भगवान शिव के सम्मुख रख दी।अपनी प्रिये की ये बात सुनकर भोलेनाथ ने कैलाश छोड़ दिया। कैलाश पर्वत को छोड़ कर भगवान शिव देवी पार्वती के साथ काशी नगरी में आकर रहने लगे। इस तरह से काशी नगरी में आने के बाद भगवान शिव यहां ज्योतिर्लिग के रूप में स्थापित हो गए।

काशी विश्वनाथ के दर्शन से खुलते हैं भाग्य

काशी देश के पवित्र स्थानों में से एक है। यहां स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए बहुत ही खास है। मान्यता है कि यहां जल चढ़ाने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इस मंदिर का अब कायाकल्प हो चुका है और इसी के साथ बनारस की भव्यता में इस मंदिर ने चार चांद लगा दिए है। सावन का महीना शुरू होते ही वाराणसी में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ने लगेगी। श्रद्धालु भोलेनाथ को जल चढ़ाने यहां जरूर पहुंचते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments